
मैथिली लोकगीतों की सूची और उनके अर्थ
"संस्कृति के सुर, मैथिली के लोकगीतों के संग!"
गोसाउनिक गीत
जय जय भैरवि असुर भयाउनि
जय जय भैरवी असुर-भयाउनि, पसुपति-भामिनि माया। सहज सुमति बर दिअहे गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया॥
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ब्राह्मण बाबू यौ
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय पहिने मांगी छी ब्राह्मण, पहिने मांगी छी ब्राह्मण भाई भतिजवा ब्राह्मण बाबू यौ उजदल नैहर दियौ ने बसाय ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
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सून भवन भेल भोर : पराती एक मैथिली लोकगीत
सून भवन भेल भोर
श्याम बिनु सून भवन भेल मोर दाइ
आब के आओत दौड़ि, ककरा लपकि झपटि लेब कोर
गीत में श्री कृष्ण को प्रतीकात्मक रूप से पुत्र या पुत्री के रूप में प्रस्तुत किया गया है, तथा इसे एक माँ की भावनाओं के माध्यम से व्यंग्यात्मक रूप से व्यक्त किया गया है। यह गीत माता यशोदा के दर्द और प्रेम को दर्शाता है, जो अपने बेटे की बचपन की शरारतों और उनसे जुड़ी यादों को पुनः प्राप्त करने की असंभवता को व्यक्त करती है।
नचारी गीत
भोलेनाथ दिगम्बर दानी किए बिसरायल छी
यह गीत भक्त और भगवान शिव (भोलेनाथ) के बीच गहरे प्रेम, भक्ति और आत्म-समर्पण को व्यक्त करता है। इसमें भक्त अपनी पीड़ा, समर्पण और शिव के प्रति अपनी अटूट आस्था को व्यक्त करता है।
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महेशवाणी: गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब || A maithilli folk
हनुमानक गीत
जय हो बजरंगबली वीर बंका : हनुमानक गीत || हनुमान जी की वीरता और भक्ति
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साँझ गीत
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Read Fullमुंडन और उपनयन गीत
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मंगल कामना
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
Read Fullकुमारिक गीत
जाहि दिन आहे बेटी तोंहे अवतरलऽ
कुमारिक गीत : बेटी विवाह में गाने वाला गीत || मैथिली लोकगीत: बेटी के प्रति समाज की सोच और
व्यंग्य
गठबंधन: करू गठबंधन लाल लाली के
करू गठबंधन लाल लाली के
चारु चन्द्र चकोर हे
गीत की पहली गाँठ श्री राम और जानकी का मिलन है, जो पूरे विवाह का आधार है। दूसरी गाँठ भरत और मांडवी के बीच है, जो बंधन को और मजबूत करती है। तीसरी गुत्थी लक्ष्मण और उर्मिला से संबंधित है, जो भावनात्मक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का वर्णन करती है। चतुर्थ गांठ शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के मिलन से विवाह संपन्न होता है।
Read Fullसिनुरदान: पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ
करू पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ
चारु चन्द्र चकोर हे
गीत में पिता से अपनी बेटी का दान करने का अनुरोध किया जाता है जिसे भारतीय संस्कृति में बहुत पवित्र माना जाता है। शुभ पेय का उल्लेख शादी के माहौल को और भी शुभ बना देता है। अंत में, रामायण की उस घटना का संदर्भ दिया जाता है जहां भगवान राम ने धनुष तोड़कर सीता को प्राप्त किया था, जिससे विवाह समारोह को एक पवित्र और ऐतिहासिक महत्व मिला। इस प्रकार यह लोकगीत विवाह की रस्मों, उनकी पवित्रता और सामाजिक परंपराओं का सुन्दर वर्णन करता है।
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मोरा रे अँगनमा चानन केरि गछिया
वह अपने आंगन में चंदन के वृक्ष के नीचे खड़ी है, जहां कौवा बैठा हुआ है। मिथिला की मान्यता अनुसार, कौवे की कर्कश ध्वनि सुबह में किसी मेहमान या प्रियजन के आगमन का संकेत मानी जाती है।
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