नचारी
उगना रे मोरे कतए गेलाह
उगना रे मोरे कतए गेलाह | कतए गेलाह हर किदहु भेलाह ||१||
माँग नही बटुआ रुसी बैसलाह | जोही-हेरी आनी देल हंसी उठलाह ||२||
जे मोरा उगनाक कहत उदेस | ताहि देब कर कंगन सन्देश ||३||
नंदन वन बिच भेटल महेश | गौरी मन हरकित मेटल कलेस ||४||
विद्यापति भन उगानासं काज | नही हितकर मोर तिहुअन राज ||५||
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