ब्राह्मण गीत
ब्राह्मण बाबू यौ
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
पहिने मांगी छी ब्राह्मण,
पहिने मांगी छी ब्राह्मण
भाई भतिजवा ब्राह्मण बाबू यौ
उजदल नैहर दियौ ने बसाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मांगी छी ब्राह्मण
तखने मांगी छी ब्राह्मण
सिर के सिंदुरवा ब्राह्मण बाबू यौ
कुमर पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
गोदी भरी बालक ब्राह्मण बाबू यौ
बाझिन पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
तखने मांगी छी ब्राह्मण
तखने मांगी छी ब्राह्मण
अन्न धन लक्ष्मी ब्राह्मण बाबू यौ
दरिद्र पद दियौ ने छोड़य
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
गीतका अर्थ
ब्राह्मण बाबू यौ
पहले मांगता हूँ ब्राह्मण, भाई-भतीजों का सुख।
मैं अपने उजड़े नैहर (मायके/घर) को बसाने की प्रार्थना करता हूँ।
(यहाँ प्रार्थना है कि परिवार और संबंधों में सुख-शांति लौटे)।
उसके बाद मांगता हूँ, सिर पर सिंदूर।
मेरे पति को दीर्घायु दें, और मुझे उनके साथ खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद दें।
(यह जीवनसाथी के लंबे जीवन और वैवाहिक सुख की कामना है)।
इसके बाद मांगता हूँ, गोद में बालक का सुख।
मुझे मातृत्व का सुख दें और निःसंतान होने का दुःख दूर करें।
(यह संतान सुख और परिवार बढ़ाने की प्रार्थना है)।
अंत में मांगता हूँ, अन्न, धन, और लक्ष्मी का आशीर्वाद।
दरिद्रता और गरीबी को दूर करें, और मुझे समृद्धि का आशीर्वाद दें।
(यह आर्थिक और भौतिक समृद्धि की कामना है)।
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