मंगल कामना
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
आज मंगल के दिनमा शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
शुभे बोलु बाबा शुभे बोलु दादी
शुभे बोलु बाबा शुभे बोलु दादी शुभे हो शुभे
आज मंगल के दिनमा शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
शुभे बोलु अम्मा शुभे बोलु दीदी
शुभे बोलु अम्मा शुभे बोलु दीदी शुभे हो शुभे
कोहबर के लिखैया शुभे हो शुभे
दुअरा के छेकैया शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
शुभे बोलु चाचा/ काका शुभे बोलु चाची/ काकी
शुभे बोलु चाचा/ काका शुभे बोलु चाची/ काकी शुभे हो शुभे
आजु अवध नगरिया शुभे हो शुभे / आज जनक अंगनमा शुभे हो शुभ
आजु रघुवर के अंगना शुभे हो शुभे / आज मिथिला नगरिया शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
शुभे बोलु भैया शुभे बोलु भौजी
शुभे बोलु भैया शुभे बोलु भौजी शुभे हो शुभे
बजे घर-घर बधाइयां शुभे हो शुभे
सिया राम जी की जोड़ियां शुभे हो शुभे
शुभे शुभ के लगनमा शुभे हो शुभे
गीतका अर्थ
यह मैथिली लोकगीत एक शुभ अवसर पर गाया जाने वाला गीत है, जो विवाह के पवित्रता और मंगलमयता को दर्शाता है। इसमें परिवार के हर सदस्य—दादा-दादी, माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची—सभी को दूल्हा-दुल्हन के लिए शुभकामनाएं देने के लिए प्रेरित किया गया है। गीत के बोल "शुभे शुभ के लगनमा" इस बात का प्रतीक हैं कि विवाह का यह समय हर प्रकार से पवित्र और शुभ है। "आज मंगल के दिनमा" यह दर्शाता है कि आज का दिन विशेष है, और सबके लिए खुशी और समृद्धि लेकर आया है। गीत में "कोहबर के लिखैया" और "दुआर के छेकैया" जैसे वाक्य परंपराओं की झलक देते हैं, जहां कोहबर (विवाह मंडप) और द्वार को सजाने की बात की गई है। "जनक अंगन" और "अवध नगरिया" का उल्लेख भगवान राम और सीता के विवाह को दर्शाता है, जो विवाह को दिव्यता और आदर्शता से जोड़ता है। अंत में, "बजे घर-घर बधाइयां, सिया राम जी की जोड़ियां" कहकर यह कामना की गई है कि यह जोड़ी भी राम-सीता की तरह आदर्श और शुभ हो। भावार्थ: यह गीत न केवल खुशी और परंपरा को प्रकट करता है, बल्कि यह विवाह के समय परिवार और समाज के सामूहिक आशीर्वाद और जुड़ाव को भी व्यक्त करता है। इसमें हर शब्द एकता, पवित्रता, और मंगलकामना से भरा हुआ है।
0 Comments