तिल, मुरमुरे और चूरा के लड्डू
परिचय
जब खाने पीने में मिथिला का नाम आता है तो हर
समुदाय के तरह मिथिला का खान पीन बहुत शानदार और बहुत स्वादिष्ट होता है। इस लेख में हम आपको हर क्षेत्र
में हर नाम से मशहूर मकर संक्रांति पर खाने योग्य भोजन के बारे में बताएंगे। यह त्योहार हिंदुत्व में या
हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करने वाले सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। मिथिला में
मकर संक्रांति के दिन कुछ विशेष प्रकार के खाना खाया जाता है।
सुबह के नाश्ते में तिल के लड्डू मुरही का लड्डू और चुरा का लड्डू खाया जाता है।
खाने के वक्त में मिथिला के कुछ भागों में अर्थात कुछ समुदायों में खिचड़ी खाया जाता है तो कुछ
समुदायों में दही चुरा खाने का परंपरा है ।
मिथिला में मुरमुरे का लड्डू को मुरलाई और चुरा के लड्डू को चुरलाई कहा जाता है तो तिल के लड्डू को
तिलवा कहा जाता है। तिल के लड्डू को गुड में मिलाकर बनाया जाता है वैसे ही मुरमुरे और चूड़ा को भी मीठा
में मिलाकर बनाया जाता है। इस चलचित्र को देखिए और समझ ही कैसे बनाया जाता है।
तिल और मुरे की लड्डू बनाने का
तरीका.
पहले गुर को कुछ समय तक धीमी आंच में पकाना होता है। जब तक वह अर्ध तरल अवस्था में चला ना जाए । उसके बाद उसमें अदरक को कूट कर दिया जाता है । वह जमे उससे पहले उसमें मुरमुरे मे उस गुड़ को रखा जाता है और उसके बाद उसे लड्डू की तरह बड़े बड़े आकार में बनाया जाता है। वेसेहि तिल ओर चुरा के सथ भि किया जात हे।
खाने का फायदा
- खिचड़ी: खिचड़ी खाने के कई फायदे होते हैं। दाल, चावल, सब्जियों और मसालों से बनी खिचड़ी बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण देती है। इससे सभी पोषक तत्व एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं। क्षमता कमजोर होने पर भी यह आहार आसानी से पच जाता है और पाचन में सुधार करता है, इसलिए रोगियों को खिलाया जाता है, जब उनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है।
- तिल: तिल खाने के कई फायदे होते हैं। तिल्ली के लड्डू खाना पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ये कब्ज, गैस और एसिडिटी को दूर करते हैं और पेट को साफ करने में मददगार होते हैं। तिल के लड्डू ठंड के मौसम में खाने से सर्दी के दुष्प्रभाव से बचाव होता है और विशेष रूप से शरीर में आवश्यक गर्मी पैदा करने में मदद करता है। यह भूख बढ़ाने में भी कारगर है।
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