अनुवाद :

सिनुरदान: पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ

विषय सूची

सिनुरदान

 पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ

पाहुन सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ

सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


रघुवर शिर शोभनि मौर सीता सब दिन पुजथि गौर

आजु पूजल हमर और नृपति होबऽ लए


सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


रघुवर शिर शोभनि चन्दन

सीता हाथ मे सोभे कङ्गन 


सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


सिता के मेहदि लागल हाथ

 माथे बिन्दिया सोभे साथ


सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


सिता माला लियौ हाथ

दियौ रघुवर के माथ 


सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


रघुवर शिर शोभनि चन्दन

 सीता हाथ मे सोभे कङ्गन 


सीता उघारि लियऽ माथ सिन्दूर लेबऽ लए


बाबा करियौ कन्यादन 

शुभे शुभ के खैयौ पान


आजु  हेति बेटि आन सिन्दुर लै के


बीति रहल अछि लग्न अहाँ धनुष कयलौं भंग

सब छथि आनन्दमग्न आशीष देबऽ लए


रघुबर सिन्दूर लियऽ हाथ सोन सुपारी के साथ

आजु बेटि भेलि दान सिन्दूर लैके




सिनुरदान मिथिला





गीतका अर्थ

इस मैथिली लोकगीत में दूल्हे को विवाह की विभिन्न रस्में निभाने के लिए आमंत्रित किया जाता है, खास तौर पर सिंदूर लगाने की रस्म। गीत में भगवान राम और सीता के विवाह का उल्लेख है, जिसमें दूल्हा रघुवर (राम) और दुल्हन सीता हैं। दूल्हे से दुल्हन की मांग में सुपारी के साथ सिंदूर लगाने का अनुरोध किया जा रहा है, जो विवाह की सबसे पवित्र रस्मों में से एक है। गीत में दूल्हे के सिर पर मौर (मुकुट) और चंदन का तिलक और दुल्हन के हाथों में मेहंदी और चूड़ियों का वर्णन किया गया है, जो उसके पहनावे और श्रृंगार को दर्शाता है। इसके अलावा दुल्हन के माथे पर बिंदी और मेहंदी लगे हाथ उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं।

गीत में पिता से अपनी बेटी का दान करने का अनुरोध किया जाता है जिसे भारतीय संस्कृति में बहुत पवित्र माना जाता है। शुभ पेय का उल्लेख शादी के माहौल को और भी शुभ बना देता है। अंत में, रामायण की उस घटना का संदर्भ दिया जाता है जहां भगवान राम ने धनुष तोड़कर सीता को प्राप्त किया था, जिससे विवाह समारोह को एक पवित्र और ऐतिहासिक महत्व मिला। इस प्रकार यह लोकगीत विवाह की रस्मों, उनकी पवित्रता और सामाजिक परंपराओं का सुन्दर वर्णन करता है।

यह लोकगीत मैथिली समाज में विवाह की रस्मों और उनकी सांस्कृतिक गहराई को दर्शाता है। इसमें दूल्हे को राम और दुल्हन को सीता के रूप में दिखाया जाता है। सिंदूरदान, कन्यादान और दूल्हा-दुल्हन के श्रृंगार के माध्यम से विवाह की पवित्रता, परंपरा और आदर्शों का वर्णन किया जाता है। इस गीत का उद्देश्य इस रस्म के महत्व और भावनात्मक जुड़ाव को उजागर करना है, साथ ही समाज की पवित्र परंपराओं को संजोने का संदेश भी देता है।

यहां पर सीता दुल्हन को बताया गया है।

-लेखक  संकलन

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