कन्या की विदाई
परिचय
मैंने आपको कई लेखों में अलग-अलग चीजों के बारे में
बताया है। आज मैं आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके बारे में सुनकर और पढ़कर शायद
आपकी चक्षु से से अश्रु झरने लगेंगे। यह एक ऐसा प्रथा है जो हर हिंदू परंपरा में होता है।
समदाओन एक प्रचलित लोकगीत है। मिथिला का लोकप्रिय लोकगीत समदाओन विदाई गीत कहलाता है। यहाँ बेटी को विदा
करते समय सौभाग्य के लिए बेटी के शरीर पर जल छिड़का जाता है, जिसे 'उसरगना' कहते हैं। यहाँ 'समदाओन' यानी
विदाई गीत विशेष रूप से गाया जाता है।
यह गीतमाता भगवती के विदाई तथा सामा चकेवा के विदाई और अन्य अन्य चीजों में भी गया जाता है जिसमें विदाई शामिल होता है विशेषकर कन्या का विदाई।
इगीत का इतिहास
विवाह गीत प्राचीन मिथिला की धरोहर माने जाते
हैं। इसे प्राचीन काल से चला आ रहा गीत माना जाता है। इसे त्रेता युग से गाया जाता रहा है। यह गीत
राम-जानकी के विवाह से पहले भी गाया जाता था। और आज तक यह हमारी विरासत है जो ऐसे ही चली आ रही है।
गीतिकाव्य:
बड़ रे जतन स' सिया धिया के पोसलहुंसेहो धिया रघुवर नेने जाय
आगू-आगू रामचन्द्र पाछू-पाछू डोलिया
ताहि पछु लछिमन हे भाई
पूरा गीत पढ़ें
निष्कर्ष
इस तरह के गीत को बढ़ावा देना चाहिए । हर एक व्यक्ति को रीति रिवाज से विवाह करना चाहिए ताकि हमारा धरोहर लुप्त ना हो और यह गीत सब चलता रहे। विशेष रूप से नए गायक/ गायिकाओं को इस प्रकार के गीतों को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए।
सूचना
इस तरह के गीत को बढ़ावा देना चाहिए । हर एक व्यक्ति को रीति रिवाज से विवाह करना चाहिए ताकि हमारा धरोहर लुप्त ना हो और यह गीत सब चलता रहे। विशेष रूप से नए गायक/ गायिकाओं को इस प्रकार के गीतों को बढ़ावा देने के लिए काम करना चाहिए।
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