सामा चकेवा गीत
गाम के अधिकारी तोहें बड़का भैया हो
गाम के अधिकारी तोहें बड़का भैया हो
आहे बड़का भैया हो
भैया हाथ दस पोखरी खुनाय दिय
चंपा फूल लगाय दिय हे
भैया हाथ दस पोखरी खुनाय दिय
चंपा फूल लगाय दिय हे
गाम के अधिकारी तोहें छोटका भैया हो
गाम के अधिकारी तोहें छोटका भैया हो
आहे छोटा भैया हो
भैया हाथ दस पोखरी खुनाय दिय
चंपा फूल लगाय दिय हे
भैया हाथ दस पोखरी खुनाय दिय
चंपा फूल लगाय दिय हे
भैया लोढ़ाएल भौजो हार गांथू हे
भैया लोढ़ाएल भौजो हार गांथू हे
आहे हार गांथू हे
आहे सोहो हार पहिर बड़की बहिनी
साम चकेबा खेलत हे
आहे सोहो हार पहिर बड़की बहिनी
साम चकेबा खेलत हे
कथि बझाएब बनती तीर हे
कथि बझाएब बनती तीर हे
बनती तीर हे
आहे कहां के बझाएब राजा हंस
चकेबा खेलब हे
आहे कहां के बझाएब राजा हंस
चकेबा खेलब हो
जाले बझाएब बनती तीर हे
जाले बझाएब बनती तीर हे
बनती तीर हे
आहे रौब से बझाएब राजा हंस
चकेबा खेलब हे
आहे रौब से बझाएब राजा हंस
चकेबा खेलब हे
चकेबा खेलब हे
चकेबा खेलब हे
चकेबा खेलब हे
चकेबा खेलब हे
गीतका अर्थ
गाम के अधिकारी तोहें बड़का भैया हो
यह गीत पारंपरिक "चकेवा" लोकगीत का हिस्सा है, जो बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से छठ पूजा के समय गाया जाता है। इस गीत में भाई-बहन के संबंध, प्रेम, और गाँव के पारंपरिक जीवन की झलक मिलती है।
इस गीत में कुछ विशेष भावनाओं और प्रतीकों का वर्णन किया गया है:
भाई का योगदान: गीत में भाई की भूमिका को विशेष रूप से दिखाया गया है। भाई गाँव का अधिकारी है, जिसने गाँव के लिए दस तालाब खोदे हैं और चम्पा के फूल लगाए हैं। यह उसके गाँव के प्रति योगदान और समर्पण को दर्शाता है।
बहन का प्रतीकात्मक खेल: "चकेबा" खेलना यहाँ प्रतीकात्मक है। लोककथाओं में चकेवा (एक पक्षी का नाम) और उसके भाई-बहन के प्रति प्रेम को दर्शाता है। चकेवा पक्षी भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है और यह खेल लोककथा में भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीकात्मक रूप से सम्मान करता है। इस खेल में बहन शाम के समय चकेबा खेल रही है, जो भाई के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।
राजा हंस: यहाँ राजा हंस को प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जो समझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हर प्रयास बाण (तीर) बन जाता है। इसका अर्थ यह है कि रिश्तों में कभी-कभी कुछ बातें समझाई नहीं जा सकतीं और भाई-बहन का प्रेम भावनात्मक और गहरा होता है।
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