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विवाह पंचमी | राम सीता विवाह महोत्सव | मिथिला में विवाह का रस्म

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 अनुपम विवाह

परिचय

मैंने इतने सारे आर्टिकल में आप सभी को बहुत कुछ बताया है, लेकिन आज आपको कुछ ऐसा पढ़ने को मिलेगा, ये आर्टिकल आपको शायद ही कहीं और पढ़ने को मिला हो। आज मैं मिथिला की एक ऐसी घटना के बारे में बात करूंगा, जो सौ, 200 या 1000 साल या 1 युग नहीं, बल्कि 2 युग पहले की है, यानी ये घटना त्रेता युग में घटी थी। आज मैं आपको एक ऐसे विवाह के बारे में बताना चाहता हूं, जिसके बारे में आपने सुना होगा, लेकिन एक बार इस पूरे आर्टिकल को जरूर पढ़ें। इसमें आप मिथिला की परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में जानेंगे। मैं बहुत साफ तौर पर कहता हूं कि ये जाति आधारित विवाह नहीं है, ये वर्ण आधारित विवाह का उदाहरण है, जो इतिहास में हुआ है।
मिथिला के बिना राम की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि यह मिथिला सीता की जन्मभूमि और "कर्मभूमि" है। यहीं पर पाहुन राम ने बहन सीता से विवाह किया था। उनका अनोखा विवाह मिथिला की संस्कृति के अनुसार कैसे हुआ, यह आपको इस कहानी/इतिहास में पता चलेगा। मैं इस कहानी में ऐसी बात बताऊंगा जो आपने किसी रामायण में नहीं सुनी होगी क्योंकि ऐसी कहानी रामायण में वर्णित नहीं है। रामायण में केवल और केवल राम के चरित्र का वर्णन है। सीता से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में केवल मिथिला के लोग ही बता सकते हैं। मैं मिथिला का एक युवा हूं। देखिए मुझे पता है कि अगर आप अयोध्या से हैं तो आपको वहां की संस्कृति के बारे में पता होगा, अगर आप कहीं और से हैं तो शायद आपको वहां की संस्कृति के बारे में पता होगा, लेकिन अगर आपको मिथिला की संस्कृति के बारे में जानना है तो आपको इसे ध्यान से पढ़ना होगा।






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सीता का धनुष उठाना

इस कथा के अनुसार सीता को भगवान के घर जाकर सफाई करने को कहा जाता है। इसी क्रम में धनुष के नीचे यानि जिस पर धनुष रखा हुआ था उस पर बहुत गंदी धूल जमी हुई थी तो सीता ने सोचा कि मैं इसे और भी साफ कर देती हूं। उसी समय राजा जनक जी वहां से गुजर रहे थे तो राजा जनक जी ने देखा कि सीता धनुष को उठाकर दूसरी जगह रख रही हैं। और वहां पर वह बार-बार सफाई कर रही हैं और उस धनुष को उठाकर वहीं रख रही हैं।

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सीता स्वयंवर

सुबह ऋषि विश्वामित्र पूजा करने जा रहे थे। उन्होंने राम और लक्ष्मण को फूल सजाने का आदेश दिया। राम और लक्ष्मण फूल सजाने के लिए पुष्प वाटिका में गए। वहाँ सीता कुछ सखियों के साथ गौरी पूजन के लिए फूल लेने आई थीं। उसी समय फुलवारी में सीता और राम की पहली मुलाकात होती है और वे दोनों एक दूसरे को देखते रह जाते हैं।
cसुमिरि सीय नारद बचन उपजी प्रीति पुनीत।
चकित बिलोकति सकल दिसि जनु सिसु मृगी सभीत॥ 229॥

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सूचना

यह श्री सीताराम विवाह महोत्सव है, इसलिए इसका आनंद लें, पढ़ें और साझा करें। मैंने इसे तीन भागों में विभाजित किया है क्योंकि इस लेख में इसे शामिल करना असंभव नहीं है, इसलिए मैंने इसे ३ भागों में विभाजित किया है।

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