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मिथिला | मिथिला कैसे मिथिला हुआ | मिथिला की संस्कृति

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अनुवाद : हिंदी अंग्रेजी


मिथिला

मैंने पिछले खंड में मिथिला के बारे में मैथिली भाषा में वर्णन किया हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अब मुझे हिंदी भाषा में एक ब्लॉग बनाना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग हैं जो मिथिला को जानना चाहते हैं लेकिन वे मैथिली नहीं समझते हैं। यह मेरे द्वारा प्रस्तुत एक लेख है। जो आप को मिथिला के बा रे मे जान ने का अवसर देगा । आप लोग सोच रहे होंगे कि मैंने हिंदी को क्यों चुना ? और अंग्रेजी में भी लिख सकता था, इसलिए मेरा मानना है कि बहुत से लोग अंग्रेजी भी नहीं जानते हैं, और मैंने सोचा है कि अगली बार मैं अंग्रेजी भाषा में एक ब्लॉक बनाऊं। कामना करता हूं कि आप लोग इस लेख से कुछ मिथिला के बारे में समझ सकेंगे । यह मैं भी जानता हूं कि बहुत सारे मिथिला वासी को नहीं पता होगा कि मिथिला के बारे में जो मैंने इसमें वर्णन किया है।

मैं यह कहना चाह रहा हूं कि ऐसा नहीं है कि आप सभी को कुछ पता ही नहीं होगा मिथिला के बारे में जो मिथिला में रखते हैं उन्हें पर मैं यह कह सकता हूं बहुत सारे मिथिला वासी जो मेरा ब्लॉक पर रहे हैं उन्हें भी नहीं पता होगा कोई एक तथ्यों के बारे में जो मैंने इसमें उल्लेख किया है। आप लोग ध्यान से यह मेरा लेख पढिये मुझे लगता है आप लोगों को जरूर पसंद आएगा । आप सभी ने विकिपीडिया पर मिथिला के बारे में कुछ न कुछ पढ़ा होगा और बहुत सारे गूगल पर ब्लॉग्स और आर्टिकल पढे होंगे पर मैं मिथिला का रहने वाला हूं तो मुझे पता है कि मैं मिथिला को कितना जानता हूं शायद जो  विकिपीडिया में दिया है उससे अधिक मैं जानता हूं। तो चलिए शुरू करते हैं बिना समय गवाएं।


मिथिला कैसे मिथिला हुआ

सबसे पहले आपको यह जानना होगा मिथिला को मिथिला ही क्यों कहा जाता है तो इसका एक बहुत अच्छा तथ्य है कि मिथिला के राजा मिथि जो थे उनके नाम से मिथिला हुआ है। मिथि राजा का जन्म उनके पिता का शरीर से हुवा था । इसीलिए उन्हें जनक भी कहा जाता है। ऐसा ही जो सीता के पिता थे राजा जनक उनका नाम सिरध्वज था और जो जनक यह उपाधि के रूप में प्रयोग होता है अर्थात सीता के जो पिता थे उनका नाम सिरध्वज जनक था।

क्षेत्र

मिथिला जो भारत के बिहार तथा झारखंड और नेपाल के प्रदेश नंबर दो में पढ़ने वाले एक क्षेत्र है और नेपाल के प्रदेश नंबर एक में भी यह क्षेत्र का कुछ भाग पड़ता है। मिथिला को मिथिलांचल, तिरभुक्ति ओर तिर्हुत नाम से जाना जाता हे।यह भारतीय उपमहाद्वीप का एक भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है जो पूर्व में महानंदा नदी, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी नदी और उत्तर में हिमालय की तलहटी से घिरा है। इसमें भारत में बिहार और झारखंड के कुछ हिस्से और नेपाल के पूर्वी तराई के आसपास के जिले शामिल हैं। माना जाता है कि प्राचीन काल में अर्थात त्रेता युग में इसका जो भूमि था वह बहुत दूर तक फैला था पर अभी सिर्फ और सिर्फ नेपाल के तराई भाग में और बिहार के कुछ भाग में और झारखंड के भी कुछ भाग में तक सीमित रह गया है जो थोड़ा बहुत बुरा है।

 

हाल मिथिला क्षेत्र

भाषा

विश्व में  ३३ लाख से अधिक लोग मैथिली भाषा को अपने मातृभाषा के रूप में मानते हैं । यह भी है कि मैथिली भाषा जानने वाले  ३३ लाख से बहुत अधिक लोग हे । मिथिला में जो मैथिली बोली जाती है तो इस क्षेत्र में हरे कुछ किलोमीटर के अंतराल पर या कुछ क्षेत्र के अंतराल पर उसके पिच-उच्चारण अलग अलग हो जाते हे । माना जाता है कि मधुबनी जिला में जो भाषा बोली जाती है और उच्चारण जो है वह मैथिली का मूल माना गया है। अर्थात जैसे बिहार के कुछ भागों में जैसा हिंदी बोला जाता है शायद वह से दिल्ली के भागों में नहीं बोला जाता हूं और पंजाब के भाग में नहीं बोला जाता होगा हर एक क्षेत्र का अलग-अलग टोन है ऐसे ही मैथिली में भी है हर क्षेत्र का अलग-अलग उच्चारण  है। यह भी माना जाता है कि अगर हम सब पर हिंदी अंग्रेजी नेपाली जैसे भाषा हावी हो गया तो हमारा मैथिली भाषा का भी लोप हो सकता है।  शायद बहुत जल्दी हो सके क्योंकि हमारा जो भाषा मैथिली है वह तो नाम के लिए मैथिली है।  पर बहुत सारे जगहों पर मैथिली भाषा में नेपाली हिंदी तथा अंग्रेजी शब्दों को मिलाकर बोला जाता है । जो कि बहुत गलत है हो सके तो इसे हम सुधार कर बोले नहीं तो बहुत जल्द मैथिली जैसे बहुत ऐसा भाषा है जिसका लोप होते देरी नहीं लगेगा।   या उन भाषाओं में से है जिनका व्याकरण भी अपना है लिपि भी अपना है। जैसे हमारा लिपि लोग हो रहा है अर्थात लोप हो ही गया है। वैसे हमारा भाषा लोप ना हो जाए इसी के लिए हमें अपना भाषा को बचाना होगा।  और मुझे बहुत दुख लगता है कि हमारा मैथिली भाषा जो विश्व के नौवें स्थान पर मातृभाषा के रूप में आता है और शायद तथ्यों (सर्वेक्षण के द्वारा प्राप्त किया गया तथ्य) में ही सीमित ना रह जाए। अभी कई जगहों पर तिरहुत लिपि यानि मिथिलाक्षर पढ़ाया जा रहा है।  यानी हमें हमारी मैथिली लिपि के बारे में हम्को हि बताया जा रहा है क्योंकि मिथिला में रहने वाले 90% से अधिक लोग मैथिली लिपि के बारे में जानते भी नहीं हैं 10% में से 5% कितने % लोग मैथिली लिपि के बारे में जानते हैं, जिसमें से 2% लोग मैथिली लिपि लिखना जानते हैं और बाकी प्रतिशत लोगों को सीखने में कोई दिलचस्पी नहीं है, वे थोड़ा आते हैं लेकिन इतनी नहीं।


मिथिलाक्षर लिपि


मिथिला की संस्कृति

चित्रकला

मिथिला में मिथिला पेंटिंग अर्थात मिथिला चित्रकला बहुत प्रसिद्ध है जिसे मधुबनी पेंटिंग भी कहां जाता है। अरिपन, भरनी, कचनी, तांत्रिक, गोडना और कोहबर आदि सब इस चित्रकला में आता है।


सारी पर मछली का चित्र


संस्कृति पोशाक

पाग जो सर पर लगाया जाता है, कुर्ता जो शरीर के बिचले हिस्से में पहना जाता है, और पैजामा या धोती जो निचले हिस्से में पहना जाता है। ब्रह्मांण समाजों में विवाह के दौरान जो वर होते हैं वह पाग का धारण करते हैं।  अन्यथा जो अन्य जाति के या वर्ण के होते हैं जैसे कायस्थ, राजपूत, भूमिहार, आदि वह सब मौड़ का इस्तेमाल करते हैं। भाग सामान्यतया 3 रंग का होता है लाल पीला और सफेद। आपकी इंन पहिरन को सिर्फ और सिर्फ कोई सामाजिक कार्य या त्यौहार में ही पहना जाता है नहीं तो यहां पर अब शर्ट, पेंट, जींस, टीशर्ट, जैसे पहिरन का इस्तेमाल किया जाता है। महिलाओं की पोशाक में सारी साया ब्लाउज और बच्चियों के बैरण में फ्रॉक यह सब है लेकिन अब उसे सिर्फ और सिर्फ संस्कृतिक कार्यक्रम तथा सामाजिक कार्यक्रम या त्यौहार में ही लगाया जाता है । यह भी मान्यता है कि यह जो पाग है वह पत्तों से बनाया जाता था और उस समय के कालांतर से या कपड़ों में परिणत हो गया अर्थात अब कपरा का प्रयोग करके आपको बनाया जाता है। अब तो यह भी देखा गया है कि त्यौहार में भी सिर्फ और सिर्फ उसी आदमी  या औरत लगाता है जिसके स्पेशल कार्यक्रम हो रहा हो।जैसे कि आपका अगर दिया है तो आप ही सांस्कृतिक वस्त्र धारण करेंगे ज्यादा से ज्यादा आपकी जो करीबी रिश्तेदार जैसे माता या पिता हो या चाचा या चाची वहीं सांस्कृतिक वस्त्र धारण करते हैं।या अभी नहीं। आधुनिकीकरण के नाम पर जो यह प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है  जो उचित नहीं है।  ज्यादातर लोग चलचित्र जैसे सिनेमा या धारावाहिक से प्रभावित होते हैं। मुझको लगता है कि उन सब धारावाहिक या सिनेमा में अपने अपने संस्कृतिक पोशाक को प्राथमिकता देनी चाहिए।

पीला और लाल पाग

शादी की तस्वीर ओर  मौर 


लोक – नृत्य

झिझिया, झरणी, घोदना, आदि हे।यह लोकनृत्य मिथिला में नीचे या दलित वर्ग में बहुत प्रख्यात है जैसे मुसहर समुदाय मंडल समुदाय जट जटिन समुदाय। झिजिया, आमतौर पर, यह मानसून में चांदनी रातों में एक जोड़े में किया जाता है। नृत्य का मूल विषय बताता है कि प्रेमी जाट और जतिन की महाकाव्य प्रेम कहानी का स्मरण है, जो अलग हो गए थे और कठिन परिस्थितियों में रहते थे।

झिझिया नृत्य

लोक – गीत

लोकगीत हर एक जाति वर्ग के द्वारा गाया जाता है यह गीत बहुत रोमांचक होता है। लोकगीत बहुत प्रकार के हैं जिसमें गोसाउनिक, सोहर, समदाउन, महेशवाणी, नचारी आदि गीत भी है। मिथिला में हर एक घटना पर एक गीत है । कोई भी कार्य हो या सुबह का वक्त हो शाम का वक्त हो हर एक वक्त का एक गीत जरूर है।  जैसे शाम में गाने वाले गीत को साझ कहते हैं।  सुबह में गाने वाले गीत को प्राती कहते हैं वह सही हर एक देवता पर अलग-अलग प्रकार की गीत गाया जाता है।

लोक – पर्व

चौरचन, सामा चकेवा, अनंत – पूजा, जितिया आदि पर मिथिला में मनाया जाता है जो हिंदू धर्म में शायद ही कोई और संस्कृति में मनाया जाता होगा। मकर संक्रांति को हम मिथिला में तिला संक्रांति करते हैं जुड़ शीतल मिथिला का नया वर्ष के रूप में हम मनाते हैं जो कि वैशाख मास के विक्रम संवत के दूसरे दिन मनाते हैं।अनंत पूजा इसलिए मनाया जाता है कि यह मान्यता है कि अनंत पूजा के दिन से ग्रीष्म ऋतु का विधायक कर हेमंत का आगमन करते हैं हमारे मिथिला क्षेत्र में छे में से चार ऋतु ही पढ़ते हैं।


खाना

यहां का प्रमुख खाना दाल, चावल, सोहिजन, कड़ी बाडि तरुवा है। लगभग चार बजे के आसपास यहां पर दही चुरा खाने की चलन है।  अर्थात दही चुरा आम यहां कब प्रसिद्ध खाना है जो खाया जाता है। इसके अलावा पान मखान मिश्री यहां का प्रमुख है। अनर्सा  गुजिया, बगीया भि यहा का एक प्रकार हे।  पत्ते में तिलकोर, कदु, कञ्च आदि हे।

गुजिया


कंच 


तिलकोर



 मिश्री

निष्कर्ष

हमारे मिथिला को सिर्फ और सिर्फ त्रेता युग में सीता राम के वजह से ही जाना जाता है । पर ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे यहां का प्रसिद्ध लोग जो बहुत क्षेत्र में नाम कमाया हुए हैं उनका दो कोई नाम तक भी नहीं जानता है। विद्यापति कालिदास जैसे लोगों को भी शायद ही कोई जानता होगा कि ओ सब मिथिला केहि हे। अभी के वक्त में भावना कंठ भेजो कि मिथिला से है और वह पहली महिला है जिसने फाइटर प्लेन को हराया था और वही नहीं बल्कि महिलाओं में शारदा सिन्हा, मैथिलि ठाकुर  जो कि मिथिला से ही है।अभी के वक्त  भावना कंठ भेजो कि मिथिला से है और वह पहली महिला है जिसने फाइटर प्लेन को हराया था और वही नहीं बल्कि महिलाओं में शारदा सिन्हा, मैथिलि ठाकुर जो कि मिथिला से ही है। मेंमहासुंदरी देवी ये भि यहि से थी। मिथिला वासी का यह मानना है कि हमें एक अलग राज्य दे दी जाए भारत में और नेपाल में नेपाल में तो ९९% भाग जो मिथिला का है वह हमें प्राप्त हो गया है । और भारत में होना बाकी है क्योंकि जब हमारा अपना राज्य नहीं होगा तब तक हम कभी आगे नहीं बढ़ सकेंगे।  आप सब को यह पता होना चाहिए कि बिहार के जो मिथिला क्षेत्र है हर साल बाढ के वजह से वहा के वासी पीड़ित रहते हैं। नेपाल में जो प्रदेश है उसमें से दो नंबर का प्रदेश है उसका नाम का मिथिला प्रदेश हो ऐसा चाहते हैं और मैथिली वहां का राज का राजकीय भाषा हो। कामना करता हूं कि भारत में भी एक मिथिला राज्य होना चाहिए।

और यह भी कामना करता हूं कि आप लोगों को या लेख अच्छा लगा होगा।  अगर कोई मिथिला से यह लेख पर रहा है तो कोई राय सलाह सुझाव देना हो तो हमें टिप्पणी करिए। 

 

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