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झिझिया | यह नृत्य करने का कारण | यह नृत्य कब किया जाता है

अनुवाद: हिंदी  English 

 झिझिया

 

भूमिका

झिझिया भारतीय उपमहाद्वीप के मिथिला क्षेत्र का एक सांस्कृतिक नृत्य है। झिझिया ज्यादातर दशहरा के समय विजय की देवी दुर्गा भैरवी के समर्पण में किया जाता है। झिझिया करते समय महिलाएं अपने सिर पर मिट्टी से बनी लालटेन रखती हैं और नृत्य करते समय इसे संतुलित करती हैं।

 

यह नृत्य करने का कारण

जैसे आप सभी को पता है कि कुछ ना कुछ करने के लिए कुछ ना कुछ कारण होता है ऐसा ही यह निर्णय करने का कुछ एक खास कारण है तभी यह मिथिला का एक परंपरागत नृत्य के रूप में है। मान्यता यह है कि जितने भी बुरे सकती है वह सबका नाश करने के लिए और जितने भी मनुष्य है उन सब में जो कुटिल का भाव है वह सब नष्ट होने के लिए यह निर्णय किया जाता है। जैसे डायन जोगिन जैसे सकती अर्थात आप यह भी कर सकते हैं बुरी शक्ति जो हमारे समाज पर हावी है अर्थात वह महिला जो हमारे समाज में गलत तरह की शक्तियों से किसी का सर्वनाश कर रही है उन सभी औरत या मर्द का नास हो यह आस्था लेकर यह  नृत्य किया जाता है ।

 

यह नृत्य कब किया जाता है

यह नृत्य दुर्गा पूजा में किया जाता है। यह नृत्य आश्विन शुक्ल पक्ष परिवा (प्रतिपदा) से लेकर आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी तक किया जाता है खासकर के यह आश्विन शुक्ल पक्ष सप्तमी से नवमी तक विशेष रूप से किया जाता है।

 

यह नृत्य किसके द्वारा किया और कहां किया जाता है

यह नित्य मिथिला के दलित समुदाय से आने वाली महिला द्वारा किया जाता है। यह नृत्य किसी खास क्षेत्र के जैसे गांव टोल समाज में हर एक व्यक्ति के घर के आगे जाकर किया जाता है ।या नहीं तो मंदिर में भी किया जाता है।वैसे यह मंदिर वाली प्रचलन हाल ही में शुरू हुआ है क्योंकि अब यह लुप्त होने की स्थिति में आ गई है तो ज्यादातर  युवा कमेटी क्लब वाले लोग सब  इसका आयोजन मंदिर में करते हैं ।

नृत्य करते समय का एक दृश्य

 

यह नृत्य कैसे किया जाता है

इसमें सबसे पहले एक मिटटी का घैला बनाया जाता है जिसमें सैकड़ों छेद रहता है। यह नवरात्रि में बनाया जाता है और इसमें एक मिट्टी का दिया या मिट्टी तेल से जलाने वाला या सरसों तेल सजाने वाला लालटेन इस्तेमाल होता है। ऐसा घैला और लालटेन जरूरत के हिसाब से बनाया जाता है और इसको कुछ मंत्र से बांधा जाता है। और इसको अपने सर पर रख कर और सारी स्त्रियां नृत्य करती है और उस घैला को नियंत्रित करती है अर्थात संतुलन बनाए रखती है। और जिसके घर के आगे मैं यह नृत्य करती है वह थोड़ा बहुत धनराशि या सरसों का तेल या मिट्टी तेल या कुछ ना कुछ उन्हें देता है।


छेद वाला मिट्टी का बर्तन


इसका कुछ मान्यता भी है

यह मान्यता है कि अगर वह हमारे यहां पर नृत्य करेंगी तो हमारे घर में जो प्रवेश हो रही है वही शक्ति वह सब नष्ट हो जाएगी ।  कोई औरत नृत्य करते-करते उस महिला का घैला असंतुलित होकर गिर जाता है तो उसे डायन घोषित कर दिया जाता है अर्थात वह बुरी शक्ति से कुछ बुरा कर रहे हैं ।

 

इसमें किस प्रकार के गीत गाया जाता है

इसमें जो गीत गाई जाती है वह बुरी शक्ति को नाश करने वाले उसमें बोल रहता है। इसमें डायन जोगिन को बहुत गाली दिया जाता है और अपने अंदर की भड़ास को निकाला जाता है डायन प्रति जो उनका भाग होता है वह सब उन गीत के बोल के जरिए निकालते हैं। डायन की पति पुत्र दामाद और और रिश्तेदारों को गालियां दी जाती है।

जैसे हम आपको कुछ बोल दिखाते हैं:

 

तोहरे भरोसे बरहम बाबा झिझिया बनेलीयय हो हो

बरहम बाबा झिझिया बनेलीयय हो

बरहम बाबा झिझिया पर होईयो

आ सबार अबोधवा

बालक तोहर किछीयो ने जानय छऽ हो

तोहरे भरोसे बरहम बाबा जुरवा बनेलीयय हो हो

बरहम बाबा जुरबा पर होईयो

आ सबार अबोधवा

बालक तोहर किछीयो ने जानय छऽ हो

 या झिझिया का गीत है। यह मान्यता भी है कि नवरात्रि में हर एक शक्ति प्रबल हो जाती है तो इसका फायदा जो डायन है या बुरी शक्ति है वह भरपूर फायदा उठाने का प्रयास करता है। उसको और असफल बनाने का प्रयास झिझिया द्वारा किया जाता है।

  चल चल गे डईनी कदम तर

आ तोरा बेटा के खेबउ बरहम तर

कुछ इस प्रकार के गाली डायनो को दी जाती है। 

यह नृत्य करने में कुछ चुनौतियां

यह नृत्य अब लोप हो रहा है। यह नृत्य दलित वर्ग के लोग कर रहे हैं।  उनका मानना यह है कि हम अब गाली नहीं दे सकते हैं। बहुत सारे लोग जो दलित समुदाय से आते हैं वह सब शिक्षित होने लगे हैं । उनका मानना यह है कि अगर हम अपने बच्चों को सिखाएंगे यह  तो उनके शिक्षा पर असर पड़ेगा।  बहुत लोग को यह भी कहना है कि अब हम इसे डांडिया गरबा से प्रतिस्थापित कर दें क्योंकि बॉलीवुड ओर जैसे टीवी सीरियल में डांडिया गरबा को उच्च कोटि का नाच माना जाता है तो उन लोगों को यह आभास हो रहा है कि अगर हम झिजिया करेंगे तो हमें और लोग  खिली उड़ाएंगे मजाक करेंगे। और झिझिया के बारे में बहुत सारे नकारात्मकता फैला दी गई है जिससे यह लोग होने के कगार पर पहुंच गया है।

 

निष्कर्ष

अंततः मैं यह कहना चाहूंगा कि इससे अब लोप होने से बचाना हम मिथिला वासियों की जिम्मेदारी है ।  इसका दुष्प्रचार जो हो रहा है उससे भी बचना है क्योंकि अगर आप डांडिया गरबा या कोई और चीज से अगर इसको प्रतिस्थापन कर देंगे तो आप पर वह राज करेगा क्योंकि महान लोग कह कर गए हैं "अगर किसी का नाश करना हो तो उसके संस्कृति का नाश करो उसका तो खुद पर ही खुद नाश हो जाएगा" ।  शायद मुगल हो या ब्रिटेन हो यह सब ऐसा ही करके पूरे विश्व पर शासन करने का प्रयास किया

पहले यह अपने मुंह से गाकर  नृत्य करते थे लेकिन अब बदलते जमाने के अनुसार डीजे साउंड बॉक्स जैसा उपकरण ने इसका स्थान ले लिया है। 

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