अनुवाद :

विवाह पंचमी रामचंद्र जी का बरात मिथिला आगमन || On the occasion of Vibah Panchami, Ramchandra Ji's wedding procession arrived in Mithila

विषय सूची

                                                                                       सुझाया गया :

 रामचंद्र जी का बरात मिथिला आगमन

परिचय

तो आज हम विवाह पंचमी पर होने वाली अनुपम विवाह श्रृंखला में विवाह के विवाह पंचमी के बारे में बात करने जा रहे हैं।
तो जैसा कि आप लोगों ने हमारा सीता स्वयंवर से लेकर सीता द्वारा धनुष उठाने तक का लेख पढ़ लिया है, अगर नहीं पढ़ा है तो होम बटन पर जाइए और वहां जाकर आपको अनुपम विवाह पर पूरी सीरीज मिल जाएगी, वो सब पढ़िए और उसके बाद ये लेख पढ़िए।
तो यह दिव्या विवाह शुरू होता है, दशरथ जी सहित पूरा बारात तैयार हो करके आते हैं। राजा दशरथ जी अपने चारों पुत्र के साथ बारात लेकर के आते हैं। जिसमें बहुत देवी-देवता तथा अन्य राज्य के राजाओं राजकुमार तथा सिपाही सब आते हे। बहुत सारा घोड़ा हाथी सब एकदम सजा हुआ रहता हैं। देवराज इंद्र स्वयं रामचंद्र जी के रथ को चला रहे होते हैं। कुछ इस तरह से होता है स्वागत।


मिथिला प्रवेश

मिथिला प्रवेश करते ही देवराज इंद्र जो रथ के अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने एक बहुत मनी मानिक से भर पूरा अच्छा घर दिखा। उनको लगा कि यही हमारा ठहरने का जगह है। तो एक वृद्ध व्यक्ति वहां पर हुक्का पी रहे थे। उनसे इंद्र जी ने पूछा कि हमारा रहने का व्यवस्था कहां पर है। बूढ़े व्यक्ति ने उससे कहा कि आपके ठहरने की व्यवस्था यहां नहीं, हमारी राजधानी में की गई है। वह वृद्ध बोलता है कि मैं मिथिलांचल का डोम हूं। बूढ़े ने बताया कि एक बार खाना खाने के बाद उसे थाली में नहीं खाया जाता, बल्कि फेंक दिया जाता है। लोग उसे उठाकर ले आते हैं। और वह बर्तन बहुत बहुमूल्य धातु से बना होता है। कुछ देर इंद्र और वह व्यक्ति में वार्तालाप होता रहा . कुछ दूर जाने के बाद वे एक स्थान पर विश्राम करने के लिए लजाते हैं। तब देवराज इंद्र सोचते हैं कि एक राजा का घर उसकी प्रजा के घर के समान ही होता है, अर्थात उनमें ज्यादा अंतर नहीं था, अर्थात यही प्राचीन मिथिला का साम्यवाद था। और इससे यह पता चला कि मिथिला एक साम्यवाद देश था।










बारात जनक जी के द्वार पर प्रवेश

रामभद्र अपने चार अनुजो के साथ विवाह के लिए निकल पड़े। सभी बाराती भी घोड़े, हाथी और रथ पर सवार होकर राजा जनक के द्वार की ओर चल पड़े। उनके व्यक्तित्व के बारे में क्या ही वर्णन करूं, वह एक श्याम वर्ण का व्यक्ति है जिसके सिर पर बहुमूल्य रत्न का मुकुट, कानों में कुण्डल और माथे पर चंदन का काजल लगा हुआ है।


सूचना

अब बाराती मिथिलांचल में पहुंच गया और विधि सब शुरू हो गया। यह श्री सीताराम विवाह महोत्सव है, इसलिए इसका आनंद लें, पढ़ें और साझा करें। मैंने इसे तीन भागों में विभाजित किया है क्योंकि इस लेख में इसे शामिल करना असंभव नहीं है, इसलिए मैंने इसे ३ भागों में विभाजित किया है।

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