अनुवाद :

मिथिला में राम भगवान को दी जाती है गाली कारणात्मक इतिहास सहित || Lord Ram is abused in Mithila along with the causal history

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                                                                                        सुझाया गया :

 हंसी-ठिठोली के गीत (गाली गीत)

परिचय

मिथिला अपने आप में एक समृद्ध संस्कृति वाला क्षेत्र है। जैसा कि मैंने आपको पिछले लेख में भी बताया था, हर काम के लिए गीत का नमूना हमेशा तैयार रहता है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक और जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई न कोई गीत का नमूना है। हमारे हिंदू शास्त्रों के अनुसार 16 संस्कार होती हैं, और हर बिध (रस्म) के लिए एक गाना बनाया गया है। इस क्रम आज हम आपको एक ऐसे गाने के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें शादी में आए बारात में आये लोगो को गाली दी जाति है।


इतिहास तथा किंवदंती

कई लोगों का मानना है कि यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है, यह रामचंद्र जी और जानकी जी के विवाह से भी पहले से चली आ रही है। कई लोगों का यह भी मानना है कि यह बाद में आई और दहेज प्रथा के खिलाफ इसका खूब इस्तेमाल होने लगा।
जो लोग ऐसा मानते हैं, वैसे मैं भी मानता हूँ कि, ये परंपरा रामचंद्र जी के विवाह से भी पहले से चली आ रही है। तो इस परंपरा के अनुसार रामचंद्र जी के चारों भाइयों और उनके परिवार के लोगों को गाली दी गई थी। और इसी तरह से आज भी मिथिला में बेटी के विवाह में लड़की पक्ष यानी वधू पक्ष के लोग वर पक्ष को गाली देते रहे हैं।






कैसे गाली दिया जाता है

ऐसे बहुत सारे गीत बने हैं और हम “मैथिल” और “मैथलानी” लोग भगवान राम को अपना दामाद मानते हैं और उनके चार भाइयों को भी अपना दामाद मानते हैं। और हमारी परंपरा में इस तरह का गालि देना एक सामान्य बात है, राम जी और उनके परिवार पर ये हमारा अधिकार है। ऐसा ही हमारे कोई भी जमाई आता है और उनके घर में परिवार को हम लोग गाली देते हैं। एक बार ही नहीं सिर्फ जिस दिन विवाह होता है उसे दिन के बाद हर एक बार हम हंसी मजाक के तौर पर अपने जमाई को बहनोई को गाली देते हैं और उनके परिवार वालों को गाली देते हैं।
विशेष करके इस प्रथा में वर को छोड़कर उनके परिवार वालों को गाली दिया जाता हैजै से कि कुछ गीत का बोल इस तरह है।


गीतिकाव्य:

राम लखन सन सुंदर बड़ के जुनी पढियौन केओ गारी हे,
जुनी पढियौन केओ गारी हे सखिया जुनी पढियौन केओ गारी हे,
सुनु सखी एक अनुपम घटना अचरज लागत भारी है,
खीर खाई बालक जन्मो लाथि अवधपुरी के नारी है,

सूचना

अब बाराती मिथिलांचल में पहुंच गया और विधि सब शुरू हो गया। यह श्री सीताराम विवाह महोत्सव है, इसलिए इसका आनंद लें, पढ़ें और साझा करें। मैंने इसे तीन भागों में विभाजित किया है क्योंकि इस लेख में इसे शामिल करना असंभव नहीं है, इसलिए मैंने इसे ३ भागों में विभाजित किया है।

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