अनुवाद :

हम नहि आजु रहब अहि आँगन जं बुढ होइत जमाय || Ham nahi aaju rahab ahi aangan jan budh hoit jamaay

विषय सूची

नचारी

 हम नहि आजु रहब अहि आँगन जं बुढ होइत जमाय, गे माई॥

गे माई, हम नहि आजु रहब अहि आँगन

जं बुढ होइत जमाय, ॥ २॥

एक त बैरी भेल बिध बिधाता

दोसर धिया केर बाप।

गे माई,  तेसरे बैरी भेल नारद बाभन।

जं बुढ होइत जमाय, ॥ २॥


धोती लोटा पोथी पतरा

सेहो सब लेबनि छिनाय  ॥ २॥

गे माइ, जँ किछु बजताह नारद बाभन

दाढ़ी धय देबै घिसियाब  ॥ २॥


पहिलुक बाजन डमरू तोड़ब  

दोसर तोड़ब रुण्डमाल॥ २॥

 गे माइ, बड़द हाँकि बरिआत बैलायब

धियालय लेजाइब पराय गे माइ। 

जियत नगर पपियाह॥ २॥


 भनइ विद्यापति सुनु हे मनाईंन 

दृढ करू अपन गेआन। गे माइ॥

सुभ सुभ कय सिव गौरी बियाहु

गौरी हर एक समान, गे माइ ॥ ५ 

गे माई, हम नहि आजु रहब अहि आँगन

जं बुढ होइत जमाय, ॥ ५ 








गीतका अर्थ

यह एक सुन्दर यह मैथिली नचारी गीत देवी गौरी की ओर से उनके विवाह के समय उनके मन की स्थिति, असहमति और बाल सुलभ हठ को दर्शाता है। गीत में गौरी की माँ कहती हैं कि अगर उनका जमाई (शिव जी) बूढ़ा है, तो वे इस आँगन में एक पल भी नहीं रहेंगी। उन्हें लगता है कि उनका बेटी विवाह जबरदस्ती करवाया जा रहा है। वे कहती हैं कि एक तो विधाता (ब्रह्मा) उनके खिलाफ हो गए, जिन्होंने ऐसा भाग्य रच दिया। दूसरा उनके पिता (हिमालय/गौरी के पिता) भी इस विवाह में सहमत हो गए, और तीसरा दुश्मन तो नारद मुनि हैं, जो यह रिश्ता लेकर आए। गौरी के मां मनाईंन को लगता है कि शिव जी के पास कुछ भी नहीं है—न अच्छे वस्त्र, न सामान, बस एक धोती, लोटा, किताब और पत्ते—और वह सब भी कोई छीन लेगा। वे नारद मुनि को धमकी देती हैं कि अगर उन्होंने कुछ कहा, तो उनकी दाढ़ी पकड़कर घिस देंगी। वे कहती हैं कि पहले तो शिव का डमरू तोड़ेंगी, फिर उनकी मुण्डमाला भी तोड़ देंगी। शिव जी की बारात में कोई घोड़े या हाथी नहीं, बल्कि बैल (नंदी) है, और उस पर चढ़कर दूल्हा दुल्हन को पराए घर ले जाएगा। वे कहती हैं कि जिस शहर में वे जा रही हैं वह पापी से भरा है। अंत में, कवि विद्यापति कहते हैं—हे महिलाओं! अपने ज्ञान को दृढ़ करो, शिव और गौरी का विवाह शुभ है, और गौरी सबके लिए एक समान पूजनीय हैं।


यह गीत केवल हास्य या विरोध नहीं, बल्कि एक माँ के मन के भीतर चल रहे भावनात्मक द्वंद्व को दर्शाता है—जहाँ एक ओर वह अपनी पसंद की तलाश में है, और दूसरी ओर उसे बेटीको एक ऐसे दूल्हे से विवाह करवाया जा रहा है, जो दुनिया की नजर में उपयुक्त नहीं है, लेकिन ईश्वर रूप में पूजनीय है। यह गीत मैथिली संस्कृति की गहराई, व्यंग्यात्मकता, और भावनात्मक सुंदरता को दर्शाता है।

-लेखक  विद्यापति

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