गठबंधन काल गीत
करू गठबंधन लाल लाली के
करू गठबंधन लाल लाली के
चारु चन्द्र चकोर हे
प्रथम गेठ श्रीराम सङ्ग बाहल
श्रीमिथिला राज किशोरी हे
गाओल सखि सभ मंगलगान
सम्बन्ध जोड़ि प्रीतक जोरि हे
करू गेठबन्हन लाल लाली के
दोसर गेठ भरत बबुआ के
ओ मांडवी के जोड़ी हे
करू गेठबन्हन लाल लाली के
चारु चन्द्र चकोर हे
तेसर गेठ लखन के
उर्मिल कयल जोरि हे
करू गेठबन्हन लाल लाली के
चारु चन्द्र चकोर हे
चारिम गेठ देल हंसि हंसि बाहनल
श्रुतिकीर्ति शत्रुघ्न के जोड़ी हे
गाओल सखि सभ मंगलगान
सम्बन्ध जोड़ि प्रीतक जोरि हे
करू गेठबन्हन लाल लाली के
चारु चन्द्र चकोर हे
गीतका अर्थ
यह मैथिली विवाह गीत, जिसे "गठबंधन गीत" कहा जाता है, विशेष रूप से विवाह के अवसरों पर गाया जाता है। गीत में रामायण के चार भाइयों - श्री राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न - और उनकी पत्नियों - सीता, मांडवी, उर्मिला और श्रुतिकीर्ति के विवाह का वर्णन किया गया है। यह गीत पारंपरिक रूप से दूल्हा-दुल्हन के बंधन समारोह के दौरान गाया जाता है।
गीत की पहली गाँठ श्री राम और जानकी का मिलन है, जो पूरे विवाह का आधार है। दूसरी गाँठ भरत और मांडवी के बीच है, जो बंधन को और मजबूत करती है। तीसरी गुत्थी लक्ष्मण और उर्मिला से संबंधित है, जो भावनात्मक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का वर्णन करती है। चतुर्थ गांठ शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के मिलन से विवाह संपन्न होता है।
यह गाना न केवल रीति-रिवाजों का हिस्सा है बल्कि एक भावनात्मक संदेश भी है जो परिवार, रिश्तों और प्यार के महत्व को दर्शाता है। गीत में चंद्रमा की तुलना चंद्रमा से की गई है, जिससे यह प्रेम और सद्भाव का प्रतीक बन गया है। इसमें विवाह को सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व देने वाले मंगल गीतों से भरे दोस्तों की खुशी और प्यार की भावनाएं झलकती हैं।
इस गीत का उद्देश्य मैथिली संस्कृति और परंपरा की अनमोल विरासत को संजोना, जोड़ना और सामूहिक आनंद का माहौल बनाना है।
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