अनुवाद :

ब्राह्मणक गीत: छोटी मोटी ब्राह्मण बाबूके कान दुनू सोनमा || परंपरा और समाज के बदलते आयामों की झलक

विषय सूची

ब्राह्मणक गीत

 छोटी मोटी ब्राह्मण बाबूके कान दुनू सोनमा

छोटी मोटी ब्राह्मण बाबूके कान दुनू सोनमा

ब्राह्मण बाबू यौ पढ़य के पोथी नेने जाय हे


बाटे भेटिय गेल ब्राह्मण केर बेटिया यो

ब्राह्मण बाबू यौ सब जनौ दिअ चढ़ाय हे


पहिने जे अबितौं ब्राह्मण अहींके चढ़बितौं

ब्राह्मण बाबू यौ सब  जनौ गेलै बिकाय हे


बाटे भेटिय गेल मालिन केर बेटिया यो

ब्राह्मण बाबू यौ सब फूल दिअ चढ़ाय हे


पहिने जे अबितौं ब्राह्मण अहींके चढ़बितौं

ब्राह्मण बाबू यौ सब फूल गेल बिकाय हे


बाटे भेटिय गेल हलुअइया के बेटिया

ब्राह्मण बाबू यौ सब मधुर दीअ चढ़ाय हे


पहिने जे अबितौं ब्राह्मण अहींके चढ़बितौं

ब्राह्मण बाबू यौ सब मधुर गेल बिकाय हे


छोटे मोटे ब्राह्मण बाबू केर कान दुनू सोनमा

ब्राह्मण बाबू यौ पढ़य के पोथी नेने जाय हे




ब्राह्मण  बाबू



गीतका अर्थ

यह मैथिली लोकगीत हमारे समाज की बदलती परंपराओं और मूल्यों का एक सुंदर लेकिन गहरा चित्रण प्रस्तुत करता है। यह हिंदू समाज में ज्ञान और पूजा के प्रतीक माने जाने वाले ब्राह्मणों की भूमिका और उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण को दर्शाता है।

गीत कहता है कि ब्राह्मण बाबू, जिनके कानों में सोने की बालियाँ हैं और वे अपनी पढ़ाई में व्यस्त हैं, रास्ते में कई लोगों से मिलते हैं। हर बैठक में यह बात सामने आती है कि समय के साथ उन चीजों का महत्व बदल गया है या फिर उन्हें दूसरों को दे दिया गया है।  

गीत में कहा गया है कि ब्राह्मण बाबू, जिनके कानों में सोने की बालियाँ हैं और वे पढ़ाई में विद्वान हैं। रास्ते में बहुत सारे लोगों से मिलें. हर बैठक में यह बात सामने आती है कि समय के साथ उन चीजों का महत्व बदल गया है या फिर उन्हें दूसरों को दे दिया गया है.

इस गीत की मुख्य भावना यह है कि समय के साथ परम्पराएँ और आदर्श धीरे-धीरे समाज में अपना स्थान खोते जाते हैं। जो चीजें कभी ब्राह्मणों जैसे आदर्श व्यक्तित्वों के लिए आरक्षित थीं, वे अब बाजार और आधुनिकता का शिकार हो गई हैं।

  • एक ब्राह्मण की बेटी: पारंपरिक ज्ञान और आदर्शों का प्रतीक है, जो समय के साथ कम होते जाते हैं।
  • मालिन की बेटी: प्रकृति और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे आधुनिकता में उपेक्षित किया जा रहा है।
  • हलवाई की बेटी: मिठास और माधुर्य यानी खुशी और खुशी का प्रतीक, जो व्यवसायिकता और भौतिकवाद में खोती जा रही है।

यह गाना न सिर्फ मनोरंजक है बल्कि हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हमें अपनी जड़ों और परंपराओं को बचाकर रखना चाहिए. यह हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को आसान और प्रभावी तरीके से बचाने के लिए प्रेरित करता है।


-लेखक  संकलन


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