हनुमानक गीत
जय हो बजरंगबली वीर बंका
जय हो बजरंगबली वीर बंका
छन मे जरायल सोने केर लंका
किनकर पुत्र छथि किनकर सेवक
सिया के सुधि लीन्ह आय लंका
छन मे जरायल सोने केर लंका
जय हो बजरंगबली वीर बंका
छन मे जरायल सोने केर लंका
अंजनि के पुत्र छथि रामचन्द्र के सेवक
सीता के लए पहुँचाओल अयोध्या
छन मे जरायल सोने केर लंका
जय जय हो बजरंगबली वीर बंका
छन मे जरायल सोने केर लंका
गीतका अर्थ
इस मैथिली लोकगीत में हनुमान जी की वीरता, समर्पण और अद्भुत शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसमें हनुमान जी को "बजरंगबली" और "वीर बांका" कहा गया है जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है। गीत में कहा गया है कि हनुमान जी ने सोने की लंका को पल भर में जलाकर राख कर दिया था जो उनकी अद्वितीय वीरता को दर्शाता है।
इस गीत में यह भी उल्लेख किया गया है कि हनुमान जी "किंकर पुत्र" (अंजनी माता के पुत्र) और "रामचंद्र के सेवक" हैं। उनका पूरा जीवन भगवान राम की सेवा और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था। जब माता सीता रावण की कैद में थीं, तो हनुमान जी उनका हालचाल जानने लंका गए और उन्हें आश्वासन दिया कि भगवान राम उन्हें अवश्य मुक्त करेंगे।
हनुमान की वीरता केवल युद्ध तक ही सीमित नहीं थी; उन्होंने हर समय भगवान राम और सीता जी के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम का प्रदर्शन किया। अपने साहस, बुद्धिमत्ता और भक्ति के साथ, उन्होंने सीता जी को रावण के चंगुल से छुड़ाने और उन्हें अयोध्या भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह गीत न केवल भक्तिमय
गीत में "कार्तिक " और "गणपति" का उल्लेख भक्त की भक्ति की गहराई को दर्शाता है। कार्तिक
(कार्तिकेय) और गणपति (गणेश) भगवान शिव के पुत्र हैं, जो हमेशा उनकी सेवा और प्रेम में रहते
हैं। भक्त का कहना है कि वह भी उनके प्रति समर्पित होना चाहता है और उनके बेटे की तरह उनके
चरणों में रहना चाहता है।
इस गीत में हनुमान जी की शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा का गुणगान किया गया है और स्थानीय भाषा में सरल लेकिन प्रभावी तरीके से उनकी महानता को प्रस्तुत किया गया है। इस गीत के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया गया है कि हनुमान जी केवल एक योद्धा नहीं हैं, बल्कि एक आदर्श भक्त और सेवक के प्रतीक हैं, जिनकी प्रशंसा सदियों तक की जाएगी।
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