सरस्वती पूजा
परिचय
जहां तक मिथिला या मिथिला से संबंधित पर्व के बारे में चर्चा होता है तो कुछ अलग देखने को मिलता है। हालांकि मिथिला में भी बहुत धर्म के लोग गो का वर्चस्व है, और मिथिला एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर हर एक धर्म को सम्मान किया जाता है । यहां पर हर एक धर्म से संबंधित पर मनाए जाते हैं। उसमें से एक पर्व हे जो हिंदू का महान पर्व में से एक पर्व है खासकर यह पर विद्यार्थी शिक्षक वर्ग में प्रख्यात है। हर छात्र चाहे वह किसी दूसरे
धर्म का हो या पंत का, इस पूजा को जरूर मनाता हे । पूरे मन से मनाते हैं, जी हां हम
बात कर रहे हैं सरस्वती पूजा की। जहां विश्व के सारे हिंदू सिर्फ लक्ष्मी और गणेश को
पूछते हैं वहां पर मिथिला लगाया उत्तर भारत और बंगाल के लोग सरस्वती जी को भी पूछते
हैं।
कब और कहां मनाया जाता है
यह पूजा अंग्रेजी महीने जनवरी-फरवरी में माघ
कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पूरे नेपाल में उत्तर भारत में मनाया जाता
है। बंगाल में भी यह पूजा बहुत भव्य रूप से
मनाया जाता है । यह पूजा विद्यालयों विश्वविद्यालय
और गुरुकुल मैं विद्यार्थी और शिक्षक द्वारा मनाया जाता है ।
सरस्वती जी का मिथिला चित्र |
मिथिला में सरस्वती पूजा
आप में से बहुतों को पता होगा कि सरस्वती पूजा
क्यों मनाई जाती है। इसका कारण क्या है और सरस्वती पूजा का क्या महत्व है। लेकिन आप
मुझसे बहुत कम लोगों को यह पता होगा की मिथिला में सरस्वती पूजा का क्या महत्व है शायद
निकला मैं रहने वाले 5% लोगों को भी नहीं पता होगा जो रहस्य आज मैं आप सभी के सामने
प्रस्तुत करूंगा । कई विशेषज्ञों तथा लोगों का यह कहना है कि सरस्वती पूजा के दिन जानकी
जी का जन्म हुआ था । राज ऋषि सिर ध्वजा जनक मैं इसी दिन हल जोते
थे । यह भी मान्यता है कि लगभग 40 से 45 वर्ष पूर्व तक इस दिन मिथिला में जानकी
जी का जन्म मनाया जाता था और इस दिन घर का मुखिया ढाई मोड़ हल जोतते थे।
निष्कर्ष
आप मुझसे बहुत लोग हैं विद्वान होंगे अगर आपको
इस के संदर्भ में कुछ मालूम है तो हमें आप कमेंट करिए या हमें ईमेल करिए ।
ताकि हम सब मिलकर कुछ इस पर शोध कर सके।
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