अनुवाद :

मिथिला परिक्रमा कि पूरी जानकारी

 
मिथिला परिक्रमा का धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व


परिक्रमा या प्रदक्षिणा पवित्र संस्थाओं की "दक्षिणावर्त परिक्रमा" है, और जिस पथ के साथ यह किया जाता है, जैसा कि भारतीय मूल के धर्मों - हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म में प्रचलित है। बौद्ध धर्म में, यह केवल उस मार्ग को संदर्भित करता है जिसके साथ यह किया जाता है। आमतौर पर, भारतीय-धर्मों में परिक्रमा पारंपरिक पूजा (पूजा) के पूरा होने और देवता को श्रद्धांजलि देने के बाद की जाती है। परिक्रमा ध्यान (आध्यात्मिक चिंतन और ध्यान) के साथ की जानी चाहिए।

आज हम के संदर्भ में कुछ विशेष लेकर आए हैं आप लोग पढ़िए औरों को भी पढ़ाइए और टिप्पणी करके बताइए कि हमारा आपको कैसा लग रहा है।

आज हम मिथिला परिक्रमा के बारे में आप सभी को बताने जा रहे हैं। यह परिक्रमा कुल 15 दिन का होता है यह परिवार कर्मा शिवरात्रि के 2 दिन पश्चात अमावस्या की 1 दिन बाद परिवार से शुरू होकर होली पूर्णिमा से 1 दिन पहले चतुर्दशी को विधिवत रूप से समाप्त होता है। यह वैज्ञानिक आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक चेहरे दृष्टिकोण से यह एक हिंदू धर्म का कार्य है जोकि पर्व के रूप में मनाया जाता है।

इस पर बहुत सी मान्यता है शायद वह सभी मान्यता सही भी हो या कुछ सही हो कुछ गलत हो लेकिन ऐसा नहीं है कि इनमें से सारे के सारे गलत हो सकते हैं तो इन मान्यताओं में मैं मुझको जो एक उपयुक्त लगता है इस पर जो एक मान्यता बहुत प्रचलित है जो मुझ को ठीक लगता है वह आपको बताएंगे।

 

मिथिला परिक्रमा नक्शा

कहानी कुछ इस तरह से है कि राजा जनक अपने सजा को देखने के लिए अपने नगर का चक्कर लगाते थे और जनता का दुख बांटते थे और उनसे मिलते थे वह सिर्फ 15 दिन में यह काम करते थे तथा वह नहीं उनके साथ बहुत प्रजा यह काम करने जाती थी या जाते थे । कालांतर में बहुत बदलाव हुआ है इस परिक्रमा को लेकर जैसे कि अब राजा नहीं जाते हैं बल्कि श्रद्धालु भक्तजन जिसको राम सीता जनक इन सब पर विश्वास है वह सब इसको फॉलो करते हैं। वह लोग यह परिक्रमा घूमने जाते हैं। यह भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच १२८ किमी की दूरी के सर्किट पथ को कवर करता है। यह प्राचीन भारतीय दूरी मापन प्रणाली की८४  कोश दूरी को कवर करता है, इसलिए इसे चौरासी कोश परिक्रमा भी कहा जाता है। यह नेपाल में मिथिला क्षेत्र के धनुषा जिले के कचुरी गांव से शुरू होता है और भारत में मिथिला क्षेत्र के हिस्से की यात्रा करता है, यह नेपाल के जनकपुर में जानकी मंदिर में समाप्त होता है। पाठ के अनुसार पांच दिनों में ही यात्रा करनी चाहिए लेकिन मिथिला के पंडितों ने समयावधि बढ़ा कर १५  दिन की यात्रा निर्धारित कर दी ताकि वृद्ध और विकलांग लोगों की यात्रा आसान हो सके।

मिथिला माध्यमिक परिक्रमा 15 दिन पूरा होने के बाद जनकपुर धाम में अंतर 15 को घूम कर समापन करते हैं और इसमें जनकपुर धाम बास्की लगाया था आसपास के सभी क्षेत्रों से यहां पर लोग आते हैं आज प्रिय जनकपुर संभाल इसमें लगभग 78 जिले पड़ते हैं नेपाल के धनकुटा से लेकर इधर धनुषा तक।

 


आप सब इसमें वैज्ञानिक कारण ढूंढ रहे होंगे वह मुझे पता है बहुत लोग इसमें से यह सोच रहे होंगे कि यह सब एक रूढ़िवादी परंपरा है इससे कुछ पैदा नहीं होता है यह समय का बर्बादी है।  तो हम इसके बारे में आपको बताएंगे। तो वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर आप सुबह सुबह खाली पैर नहा कर चलते हैं तो आपको बहुत सारे फायदा हो सकता है। खाली पैर चलने से अकू प्रेशर की वजह से बहुत सारी बीमारियां दूर होती है वैसे तो हमें हर एक दिन चलना चाहिए पर इस दिन हम खास करके चलते हैं भले ही यह आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हो या कुछ और। अगर आप रोज सुबह में चलते हैं तो आपको बहुत सारी फायदा हो सकता है तो आप सिर्फ १  दिन समग्र (सभी लोगों के साथ)  ५ कोस का यात्रा करेंगे बहुत लोगों के बीच में वह भी नंगे पांव तो आपको वैसा ही लाभ मिलेगा।  जैसे  कि आपकी उर्जा बढ़ेगी आपका मूड सुधरेगा, दिन के लिए अपनी शारीरिक गतिविधियों को राउंडअप हो सकता है, यहां आपके वजन कम करने में मदद हो सकती है, स्वास्थ्य का स्थिति सफल और प्रबल हो सकता है, मानसिक अस्पताल में सुधार हो सकती है, रात में बेहतर नींद ले सकते हैं, गर्मी में गर्मी को मात दे सकते हैं, दिन भर स्वस्थ विकल्प बन सकता है, और अगर आप मॉर्निंग वॉक करके चलते हैं ओर होली खेलते हैं उसके अगले दिन तो आपको कुछ अलग ही ऊर्जा का महसुस करने को मिल सकता है। 

परिक्रमा पर वीडियो ब्लॉग देखें I

परिक्रमा पर वीडियो ब्लॉग देखें II












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